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टेक्सटाइल कॉन्क्लेव के पहले दिन सीईपीसी के पदाधिकारी व कालीन निर्यातक भी शामिल हुए


भदोही।(शाहिल सिद्दीकी).
भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) तमिल संस्कृति और काशी के बीच सदियों से चली आ रही सदियों पुरानी कड़ियों को फिर से खोजने, पुष्टि करने और जश्न मनाने के लिए 16 नवंबर से 19 दिसंबर, 2022 तक वाराणसी (काशी) में एक महीने तक चलने वाले "काशी तमिल संगम में 14 व 15 दिसंबर दो दिवसीय आयोजित टेक्सटाइल कॉन्क्लेव के पहले दिन सीईपीसी के पदाधिकारी व कालीन निर्यातक भी शामिल हुए।सीईपीसी चेयरमैन उमर हमीद व एकमा के पूर्व मानद सचिव पियूष बरनवाल ने कलात्मक कालीनो के इतिहास व सीईपीसी द्वारा उद्योग के बेहतरी के लिए किये जा रहे उपलब्धियों पर संबोधित किया।सेमिनार में सीईपीसी सीओए इम्तियाज अंसारी, श्री राम मौर्य, अनिल सिंह, दर्पण बरनवाल भी शामिल हुए।एकमा के पूर्व मानद सचिव ने बताया कि वाराणसी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक संबंध का जश्न मनाने के लिए, काशी तमिल संगमम का आयोजन हो रहा है।

  आजादी का अमृत महोत्सव और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बनाए रखने के लिए  यह आयोजन दो प्राचीन ज्ञान केंद्रों के बीच सदियों पुराने जुड़ाव को मजबूत करेगा।दीन दयाल हस्त कला संकुल, बादललालपुर वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम के अवसर पर होने वाले दो दिवसीय टेक्सटाइल कॉन्क्लेव के पहले दिन सेमिनार में शामिल होने का अवसर मिला। 

कार्यक्रम में माननीय कपड़ा मंत्री के समक्ष कालीन उद्योग पर चर्चा भी हुआ।पूर्व मानद सचिव ने कार्यक्रम की सराहना करते कहा कि काशी-तमिल संगम ज्ञान और संस्कृति के दो ऐतिहासिक केंद्रों के माध्यम से भारत की सभ्यतागत संपत्ति में एकता को समझने के लिए एक आदर्श मंच साबित हो रहा है।एक भारत, श्रेष्ठ भारत की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित संगम प्राचीन भारत और समकालीन पीढ़ी के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा। 

काशी संगम ज्ञान, संस्कृति और विरासत के इन दो प्राचीन केंद्रों के बीच की कड़ी को फिर से खोजेगा।काशी-तमिल संगम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं जैसे साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ विषयों की एक श्रृंखला के आसपास केंद्रित है।

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