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अधिकारियों व समूह माफियाओं की मिलीभगत से, पोषण आहार- व्यवस्था में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला



आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों का हक छीन रहे समूह के लोग, नहीं दिया जाता मैन्यू अनुसार पोष्टिक आहार।।

सिकन्दरपुर, बलिया।डेस्क न्यूज़।अधिकारियों व समूह माफियाओं की मिलीभगत एवं साठगांठ से क्षेत्र के पोषण आहार- व्यवस्था में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया जा रहा है। 

एक ओर जहां सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने व नौनिहालों को स्वास्थ्य तंदुरूस्त बनाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए खर्च कर आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से योजना चलाई रही है, वहीं विभाग के ही अधिकारी समूह माफियाओं से पर्दे के पीछे साठगांठ कर सरकार की इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। 

समूह माफिया अधिकारियों की मिलीभगत से आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले नौनिहालों के पेट में लात मार कर सरकार की कल्याणकारी योजना का मखौल उड़ा रहे हैं। 

सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत मनियर ब्लॉक के काजीपुर गांव में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं। 


केंद्रों के नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं को पुष्टाहार देने के लिए अनुबंधित स्यं सहायता समूह द्वारा निर्धारित नियमों व मैन्यू का पालन नहीं किया जाता। 

वह गांव निवासी समसुन निशा निशा,मीना देवी, पूजा देवी,पूनम देवी,सुनीता देवी,आशा देवी,प्रेम शिला आदि महिलाओं ने बताया है कि पुष्टाहार बाटे जाने के नाम पर यहां पर धांधली की जा रही है। तथा समूह के लोगों द्वारा अपने नजदीकियों को ही पहचान कर पुष्टाहार व अन्य सामान वितरण किया जा रहा है। महिलाओं का आरोप है कि जिनके घर में दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें भी उनको दो बच्चों को ही दिया जा रहा है।

महिलाओं का आरोप है की समूह के लोगों द्वारा 3 महीने बाद पुष्टाहार वितरण किया गया है उसमें भी अधिक्तर गर्भवती महिलाओं को तेल या दाल से वंचित रखा गया है। कुछ महिलाओं ने बताया कि कहीं-कहीं पर अपने जान पहचान वालों को इन लोगों द्वारा हर महीने पुष्टाहार दे दिया जा रहा है तो कहीं पर किसी को भी नही दिया जा रहा है।

आरोप है कि KGN समूह की महिलाओं द्वारा केंद्र पर ना बांटकर अपने घरों पर बुलाकर या किसी अन्य साथी के घर बुलाकर बांटा जा रहा है

इस संबंध में ग्राम प्रधान से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुझे कुछ भी जानकारी नहीं है। 

सरकार द्वारा कुपोषण के खिलाफ अभियान छेड़ा गया है। इसके लिए सुपोषण अभियान सहित अन्य कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं। 

सरकार का उद्देश्य कुपोषण को दूर करना है लेकिन यहां सवाल उठता है कि यदि विभागीय अधिकारियों व स्व सहायता समूहों की ऐसी ही जुगलबंदी चलती रही तो प्रदेश कुपोषण से कैसे मुक्त होगा। 






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