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रजिस्ट्रार कार्यालय बना भ्र्ष्टाचार का पर्याय

रसड़ा/बलिया - स्थानीय सब रजिस्ट्रार कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार का पर्याय बनकर रह गया है। एक तरफ पूरे देश व प्रदेश में मोदी व योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने को लेकर नित्त नये-नये फरमान जारी कर सरकारी तंत्र में करप्सन के प्रति खौफ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ रसड़ा का यह कार्यालय स्वयं सरकार के फरमानों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहा है। यही वजह है कि यहां हर काम के लिये लोगों से रिश्वत की वसूली प्राइवेट लोगों के माध्यम से या कभी-कभी कार्यालय तंत्र के द्वारा की जाती है। बताते है कि यहां जमीनों की रजिस्ट्री कराने के नाम पर कटने वाले रसीद 10200 के स्थान पर 21400 रूपये की वसूली की जाती है।
साथ ही प्रत्येक दस्तावेज पर 5000 हजार से लेकर 20 हजार रूपये तक सुविधाशुल्क लिया जाता है। यही नहीं यहां पर चढ़ावा न चढ़ाने पर तैनात अधिकारी जमीनों का मुआयना करने या कोई न कोई बहाना बनाकर जमीनों की रजिस्ट्री में अवरोध पैदा करते है। लोगों का आरोप है कि यहां सुविधाशुल्क देने पर बिना किसी आधार प्रपत्र व खसरा खतौनी को लगाये ही रजिस्ट्री कर दी जाती है। नतीजा यह है कि गलत ढंग से रजिस्ट्री होने के कारण स्थानीय कोतवाली में कई मामले पंजीकृत है। इस सम्बंध में सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश राम ने शासन-प्रशासन से जांचकर कार्रवाई करने व रजिस्ट्री कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग की है।

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