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प्रसूता की मौत मामले में न्यू दीपलोक अस्पताल सीज,पीड़ित ने दोषियों के गिरफ्तारी की मांग की


बलिया,06अक्टूबर। सिकन्दरपुर थाना क्षेत्र के घुरी बाबा टोला स्थित न्यू दीप लोक अस्पताल पर रविवार को स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव बर्मन के नेतृत्व में पहुंची टीम ने मौके पर ही अस्पताल को सीज कर दिया। बताया जाता है कि, विगत 01अक्टूबर को प्रसव के दौरान पूजा चौरसिया की मौत के बाद अस्पताल पर लापरवाही का आरोप परिजनों ने लगाया था। परिजनों का कहना था कि महिला को समय पर रेफर नहीं किया गया, जिससे उसकी जान चली गई।


इस सम्बन में मृतका पूजा चौरसिया (28) के पति नीरज चौरसिया ने बताया है कि "विगत 22 सितंबर को मेरे पत्नी को डॉक्टर रश्मि राय को दिखाया गया था, उसके बाद 30 सितंबर को एक बार पुनः पूजा को डॉक्टर रश्मि राय को दिखाया गया, तो उन्होंने कहा कि आज या कल एडमिट हो जाओ नॉर्मल डिलीवरी होगी।

01,अक्टूबर को सारी व्यवस्था करके हम लोग गए, अब एडमिट होने के बाद डॉक्टर रश्मि राय द्वारा कहा गया कि नॉर्मल नहीं सिजेरियन से डिलीवरी होगी। जब सिजेरियन के लगभग एक घण्टे बाद ड्रेसिंग करके मेरी पत्नी पूजा को बाहर लाया गया तो उसका पूरा ड्रेसिंग खून से लतपत था। जब मेरे द्वारा यह पूछा गया कि इतना खून क्यों गिर रहा है तब मैडम उसे फिर ऑपरेशन थिएटर लेकर चली गई। और कुछ देर बाद आकर वह अपने अस्पताल के बाहर दुर्गा जी का पूजा करने लगी। मेरे द्वारा बार-बार पूछने पर उनके द्वारा बताया गया कि मरीज ठीक है तभी तो मैं पूजा कर रही हूं, जबकि जिस समय उसे बाहर लाया गया मैंने देखा कि मेरी पत्नी अचेतावस्था में थी, बिल्कुल हिलडुल नहीं रही थी मुझे पूर्ण विश्वास है कि वह उसी समय मर चुकी थी। फिर भी मैंने मैडम से कहा अगर कोई बात हो तो रेफर कर दीजिए मगर वह कहीं नहीं मैं आपके मरीज को मौत के मुंह से निकाल कर लाई हूं। और वह तथा उनके स्टाफ द्वारा मेरे ऊपर दबाव बनाया जाने लगा कि आप घर जाइए और सुबह आईएगा।"

नीरज चौरसिया ने आगे बताया कि जब उन्होंने हंगामा किया तो अस्पताल का एक व्यक्ति मेरे पास आया और मुझसे बोला कि मेडम बुला रही हैं,जब मै गया तो डॉक्टर रश्मि राय ने मुझे मैनेज करने की कोशिश की। नीरज चौरसिया ने न्याय की गुहार लगाई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहीं अस्पताल संचालक का कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व नोटिस या जानकारी के अस्पताल सीज कर दिया गया। अस्पताल संचालक ने बताया कि उनको अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया और अस्पताल का रजिस्ट्रेशन वैध होने के बावजूद कार्रवाई की गई।


मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव बर्मन
ने बताया कि शिकायत के बाद जांच में अस्पताल में कई अनियमितताएं पाई गईं। उन्होंने बताया कि मौके पर ही नोटिस दिया गया और नियमों के अनुसार कार्रवाई की गई है। संचालक को सात दिन का समय दिया गया है ताकि वह अपने अभिलेख प्रस्तुत कर सके।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सिकन्दरपुर और आसपास के क्षेत्रों में कई निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम बिना लाइसेंस के चल रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। स्वास्थ्य विभाग को पूरे क्षेत्र में अभियान चलाना चाहिए, ताकि कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी लगे।

नीरज चौरसिया ने अपने टेलीफोनिक बयान में कहा है कि, "मेरी तो पत्नी मर गई अब मेरी दो बेटियों का कौन सहारा बनेगा? कौन मां की जगह लेगा? एक तो नवजात है, उसको मैं कैसे पालूं? मैं अपनी पत्नी की मौत का सौदा नहीं करूंगा। न्याय के लिए अगर मुझे अपने शरीर का अंग भी बेचना पड़ा तो बेच दूंगा, लेकिन इस न्याय की लड़ाई को लडूंगा।"

नीरज चौरसिया की बातें दिल को झकझोर देने वाली हैं। एक पिता के लिए अपनी बच्चियों का पालन-पोषण करना कितना मुश्किल होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। अब देखना यह है कि प्रशासन और समाज इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और नीरज चौरसिया को न्याय मिलता है या नहीं।

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