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बन्दरों के आतंक के शिकार हुए दो, आम जनमानस परेशान




सिकन्दरपुर, बलिया 27फरवरी। नगर एवं इलाक़ाई गांवों में लंगूरों का बढ़ता आतंक नागरिकों पर भारी पड़ने लगा है।इनके आतंक से आम लोग जहां आतंकित और भयभीत हैं।वहीं थाना क्षेत्र के खानचक निवासी नंदू राजभर की 5 वर्षीय पुत्री सलोनी राजभर मंगलवार की शाम खेत में शौच है हेतु गई थी कि अचानक बंदर ने उसके ऊपर हमला कर दिया तथा उसके बांह पर दांत काट लिया। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई। बंदर के काटते ही वह जोर- जोर से चीखने लगी। चीख सुनकर मौके पर दौड़कर पहुंचे लोगों ने उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां पर उसका इलाज हुआ। इस घटना से बच्ची सहमी हुई है।

वहीं दूसरी तरफ बन्दर के कूदने से छज्जे का एक हिस्सा टूट कर गिरने से एक व्यक्ति घायल हो गया

खेजुरी थाना क्षेत्र के मासूमपुर गांव में मंगलवार को देर शाम बन्दर के कूदने से छज्जा में लगे रेलिंग से ईंट का एक बड़ा हिस्सा टूट कर उस रास्ते से गुजर रहे 47 वर्षीय ब्यक्ति के सर पर गिर गया।जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गया।घायल का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है।
गांव के अरशद खान पुत्र नसरुद्दीन खान किसी कार्यवश अपने मकान के बगल में स्थित गली से हो कर कहीं  जा रहे थे।उसी दौरान एक मकान के छज्जे पर बन्दर कूद गया।जिससे छज्जे के दीवार से एक हिस्सा टूट कर अरशद के सर पर गिर गया।जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गए।उनके घायल होते ही परिवार वालों में कोहराम मच गया।परिवार वाले घायल अरशद को तत्काल  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर  लेकर गए ।जहां डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

बन्दर द्वारा घायल होने की यह पहली घटना नहीं है।
ये बन्दर बिना किसी डरके किसी के भी किचन में जबरिया घुस सीनाजोरी के साथ खाने का सामान उठा कर भाग जा रहे हैं। कब किसके मकान के छत पर चढ़ कर वहां धूप में ,सूखने के लिए गेहूं या अन्य अनाज तथा कपड़े फैला रही महिलाओं,लड़कियों को मार- पीट कर और छत से नीचे धकेल कर  घायल कर देंगे या उन्हें परलोक भेज देंगे इसका कोई भरोसा नहीं रह गया है।

अब तक नगर तथा क्षेत्र में बन्दर के धकेलने से जहां छत से गिर कर एक महिला की मौत हो चुकी है।वहीं  दर्जन भर लोग घायल हो चुके हैं । घटनाओं के शिकार हर आयु वर्ग  के लोग हैं। इनके आतंक से सर्वाधिक भयभीत परिवार की महिलाएं लड़कियां और बच्चे हैं। हालत यह हो गई है कि उनके आतंकी कार्रवाई से अधीकांश महिलाएं लड़कियां एवं बच्चे भयवश अपने मकान के छत पर जाना छोड़ दिये हैं।
किसी कार्यवश मजबूरी में छत पर जा भी रहे  हैं तो डंडा व गुलेल से लैस हो कर समूह में ही।वह भी काम  करके आनन-फानन छत से नीचे उतर आते हैं।चूंकि बंदरों का धार्मिक महत्व है।ये पूज्य हैं।इस लिए इन्हें मारने से लोग भरसक परहेज करते हैं।यही कारण है कि इनकी गुरिल्ला कार्रवाइयां बढ़ती जा रही हैं।इनसे छुटकारा कब ,कैसे मिलेगा और कौन दिलाएगा ,वर्तमान में यह लोगों के मन मे प्रश्न चिंह बना हुआ है। जंगलों और बाग़- बगीचों में रहने वाले  बंदरों के जहां तक आबादी में आतंक मचाने की बात है ।तो इसका मुख्य कारण पेड़ों व बागों की संख्या लगातार घटते जाना है।जहां ये आराम से रहते और पेड़ों का फल खा कर पेट भरते थे।

इस सम्बंध में जब कुछ लोगों से ' बात किया तो उनकी प्रतिक्रिया इस प्रकार रही।लोगों ने कहा कि बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।उसी अनुपात में इनका आतंक भी बढ़ता जा रहा है।नागरिक उनके आतंक की साए में अपना जीवन गुजारें यह ठीक नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि नागरिकों को उनके आतंक से मुक्ति हेतु कोई ठोस ब्यवस्था करे।

लोगों का कहना है कि।यह जिम्मेदारी वन विभाग की है कि वह बंदरों के आतंक से नागरिकों को मुक्ति दिलाए।वन विभाग को इस बारे में तत्काल ब्यवस्था करनी चाहिए।






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