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मैं पल दो पल का शायर हूं" के फनकार को "अंकुर" की श्रद्धांजलि

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सुखपुरा (बलिया) :  "मैं पल दो पल का शायर हूं" जैसे अमर सुखपुरा :  "मैं पल दो पल का शायर हूं" जैसे अमर गीतों के रचनाकार साहिर लुधियानवी के जन्मदिन पर गुरुवार को प्राथमिक विद्यालय सुखपुरा नंबर दो पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अंकुर के फनकारों एवं रचनाकारों की बैठक में उन्हें भावपूर्ण स्मरण किया गया। वक्ताओं ने साहिर साहिब के रचनाधर्मिता को सलाम करते हुए कहा कि फिल्मों में गीत लिखने के बावजूद उनकी रचनाओं में उर्दू एवं हिंदी साहित्य कूट-कूट भरा रहता था यही नहीं उनके गीत भारतीय लोक संस्कृति से जुड़ाव के कारण बेहद मकबूल हुए और यही वजह है कि आज भी युवा पीढ़ी उनके गीतों को गुनगुना रही है ।साहिर साहब जैसे गीतकार सदियों में एक ही पैदा होता है ।इस मौके पर फनकारों ने उनके अनेक गीतों को स्वर देकर उनके स्मृतियों को नमन किया। महावीर प्रसाद,बृज मोहन प्रसाद,अरविंद अलबेला,विजय बहादुर सिंह, संजय राजभर,विक्रमा यादव आदि मौजूद रहे। के रचनाकार साहिर लुधियानवी के जन्मदिन पर गुरुवार को प्राथमिक विद्यालय सुखपुरा नंबर दो पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अंकुर के फनकारों एवं रचनाकारों की बैठक में उन्हें भावपूर्ण स्मरण किया गया। वक्ताओं ने साहिर साहिब के रचनाधर्मिता को सलाम करते हुए कहा कि फिल्मों में गीत लिखने के बावजूद उनकी रचनाओं में उर्दू एवं हिंदी साहित्य कूट-कूट भरा रहता था यही नहीं उनके गीत भारतीय लोक संस्कृति से जुड़ाव के कारण बेहद मकबूल हुए और यही वजह है कि आज भी युवा पीढ़ी उनके गीतों को गुनगुना रही है ।साहिर साहब जैसे गीतकार सदियों में एक ही पैदा होता है ।इस मौके पर फनकारों ने उनके अनेक गीतों को स्वर देकर उनके स्मृतियों को नमन किया। महावीर प्रसाद,बृज मोहन प्रसाद,अरविंद अलबेला,विजय बहादुर सिंह, संजय राजभर,विक्रमा यादव आदि मौजूद रहे।

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