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अस्थायी पशु आश्रय से निराश्रित पशुओं की हो रही चोरी



मामला चोरी का नही बल्कि आश्रय केंद्र के कर्मचारियों के मिली भगत से हो रही हैं गोवंश की तस्करी का है¡¡

(गोपीनाथ चौबे)

चिलकहर (बलिया) प्रदेश मे वर्तमान योगी सरकार ने  गोहत्या पर कड़ाई से प्रतिबंध होने, गौ-वंशीय पशुओं से किसानों के फसलों को नुकसान से बचाने, धार्मिक भावनाओं एवं पशुओं के संरक्षण पालन के दृष्टिगत आनन फानन मे हर जिले मे स्थाई या अस्थायी पशु आश्रय केन्द्र का संचालन शुरू कराया था।

इसी के तहत तहसील रसडा के ग्राम गोपालपुर मे अस्थायी पशु आश्रय केन्द्र की स्थापना हुई ।


ग्राम के उत्तर तरफ नदी के किनारे चारागाह हेतु सुरक्षित झाँडी का़ट कुश बबूल के जंगल सी स्थिति वाले भूभाग पर बने इस केंद्र पर न तो आज तक चहार दीवारी का निर्माण हुआ, न पशुओं के घाम गर्मी वर्षा सर्दी से बचाव, बाँधने के लिए यथेष्ट घर टीन सैड है।


 प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है।पशुओं के रखवाली के लिये स़भवतः कर्मचारी रखें गये है लेकिन रात होते ही पशुओं को भगवान भरोसे  खुंखार जंगली जानवरों के कृपा पर छोड वह अपने घर चले जाते है।चहारदीवारी एवं सुरक्षा के अभाव मे जंगली जानवरों द्वारा पशुओं को काट घायल कर देना,उनका तडपते हुए मर जाना आम बात है।


 
इस समय इस पशु आश्रय केंद्र पर अराजक तत्वो पशु तस्करों की गिध-दृष्टि पड गई है। रात मे चोरों द्वारा स्वस्थ गाय एवं बछडों की चोरी कर गोकशी हेतु बिहार भेजना आम बात हो गयी है। पशु आश्रय केंद्र के संरक्षको, संचालको, रख रखाव के जिम्मेदार लोक सेवको द्वारा चोरी का छिपाया जाना और कागजो मे आकडा दुरूस्त कर अपना बचाव किया जा रहा है। स्थानीय लोग के बातों को विश्वास किया जाय तो  पशु आश्रय केन्द्र संचालन कमेटी द्वारा पशुओं के चोरी को छिपाना, अभियोग दर्ज न कराया जाना,तस्करो़ से मिली भगत माना जा रहा हैं। 


 अस्थायी पशु आश्रय केंद्र की चहारदीवारी, प्रकाश, पानी की व्यवस्था के साथ ही गौ-वंश चोरी प्रकरण की जाँच करा दोषियों के बिरूद्ध शासन प्रशासन को अविलंब कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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