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नफ़रत को सिर्फ मोहब्बत से ख़त्म किया जा सकता है:👉आरिफा़ मसूद अंबर



एक ऐसा समय है जिसमें सबसे ज्यादा फ़िक्र ‌ देश के भविष्य की है, और यह फ़िक्र देश के हर उस नागरिक को है जो वाक़ई देश से मोहब्बत करता है।

 यहां की गंगा जमुनी तहज़ीब  को बचा कर रखना चाहता है, अपने बच्चों को एक सभ्य नागरिक बनाना चाहता है ,और एक सभ्य समाज में जीवन व्यतीत करना चाहता है। 

आज भारत के हर अमन पसंद नागरिक के लिए  चिंता का विषय है , इस समय भारत देश में जो कुछ हो रहा है शायद ही उसकी कल्पना किसी ने  की हो । इस देश की आत्मा को नोच डालने की कोशिश की जा रही है ।

 हज़ारों साल पुराने एकता और भाई चारे को नष्ट करने के प्रयास जारी हैं ।धर्म संसद के नाम पर जगह जगह भड़काऊ बयान दिए जा रहें हैं। नौजवानों को हथियार उठाने और धर्म विशेष के लोगों की हत्या करके सफ़ाया करने का पाठ पढ़ाया जा रहा है ।

दिल्ली से लेकर रायपुर और रायपुर से लेकर हरिदुआर तक अल्पसंख्यकों के नरसंहार का नारा बुलंद है । किसी को ना क़ानून का डर है ना न्यायलय का खौ़फ और इसका सबसे ख़तरनाक पहलू यह है कि इस देश के नागरिकों के रक्षक गूंगे बहरे बनकर मदारी के खेल की तरह तमाशा देख रहे हैं।

 चिंता का विषय ये है कि इन सरफिरों के बहकावे में आकर कहीं देश के नौजवान भटक ना जाएं कहीं इन आग के शरारों से मुल्क भर में नफ़रत की चिनगारी ना भड़क जाए। 

लेकिन देश  को खतरे में डालने वालों के विरुद्घ कोई कारवाही ना होने के कारण ऐसे फ़िरक़ा परस्तों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।ये चंद फ़िरक़ा पसंद लोग देश में नरसंहार का बिगुल बजा कर इस देश को बर्बाद कर देना चाहते हैं।

 क्यों की इतिहास साक्षी है कि नफ़रत और द्वेष और नरसंहार का परिणाम केवल और केवल बर्बादी है। इस देश का बुद्धिजीवी समाज यह बात भली-भांति समझ रहा है कि यह केवल राजनैतिक पैंतरे हैं इसमें किसी भी धर्म की जनता की भलाई हो ही नहीं सकती क्योंकि अपने आप को धर्म गुरु कहलाने वाले धर्म के अर्थ को भी समझते हैं ?

 हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई कौन सा धर्म है जो  इंसान को नफ़रत और नरसंहार के मार्ग पर प्रशस्त करता है ?  महाभारत अन्याय पर न्याय के विषय का पाठ पढ़ाती है तो रामायण भी कर्तव्य मार्ग पर डटे रहने का सबक़ देती है , क़ुरान  मोहब्बत और अख़लाक से दुश्मन को दोस्त बनाने का रास्ता सिखाता है ,तो गुरु ग्रंथ साहिब सच्चाई और भलाई के कामों पर अपना सब कुछ लुटाने का पाठ पढ़ाती है।

फिर यह धर्म गुरु कौन से धर्म की बात कर रहे हैं जो अल्पसंख्यकों के क़त्ल व हत्या द्वेष और नफ़रत का पाठ पढ़ाता है, यह धर्म नहीं है।  यह धर्म हो ही नहीं सकता। यह कोई धर्मगुरु नहीं हैं , यह केवल राजगुरु बनना चाहते हैं। यह केवल सत्ता के लालची हैं ।

 इसलिए हम देश की तमाम अमन पसंद जनता से अनुरोध करते हैैं कि किसी के बहकावे में ना आकर अपने धर्म को कलंकित ना होने दें यह हम सब का कर्तव्य है कि देश के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए इन फिरका़ परस्त ताक़तों को एकजुट होकर पराजित करें। और इस देश के‌ एकता और भाईचारे को बनाए रखें। 

ये समय तमाम मुसलमानों के लिए भी परीक्षा का समय है मुसलमान किसी भी भड़काऊ भाषण पर ना भड़कें और संयम से काम ले कर देश की एकता और शांति को बनाए रखें। तथा नफ़रत का जवाब मोहब्बत से देकर इन फिरका़ परस्त ताकतों को पराजित करें ।

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