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मुस्तकीम सिद्दीकी पर फर्जी केस का आदेश करने वाले जमुई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ एनामूल हक मेगनू पर मुख्यमंत्री ने दिया जांच के आदेश।



जमु।ई बिहार।

मोहम्मद सुल्तान अख्तर।

मुस्तक़ीम सिद्दीकी को पिछले साल 18 मार्च 2020 को जमुई के तत्कालीन एसपी डॉ एनमूल हक मेगनू के आदेश पर फर्जी केस बनवाकर आसनसोल शहर से गिरफ्तार कर काफी सुर्खियां बटोरी गई थी , पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रेसवार्ता कर कई आपत्तिजनक आरोप लगाए गए थे, ठगी और हत्या जैसे संगीन धाराओ में जेल भेज दिया गया था, जेल भेजने से पूर्व उनके साथ अमानवीय प्रताड़ना किया गया था | फर्जी मामला बनाकर सुर्खियां बटोरने वाले इस अधिकारी पर अब जांच की तलवार लटक गई है |

फर्जी केस का आदेश करने वाले जमुई के तत्कालीन एसपी डॉ एनमूल हक मेगनू के खिलाफ मुस्तकीम सिद्दीकी द्वारा जांच की मांग को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 9 नवंबर को पुलिस महानिदेशक को जांच के लिए भेजा है, 

मुस्तक़ीम सिद्दीकी बिहार के मुख्यमंत्री को साक्ष्य के साथ दस्तावेज उपलब्ध करवाते हुए लिखते हैं :

जमुई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ एनामूल हक मेगनू द्वारा हमें बुरी तरह प्रताड़ित किया गया है और यह प्रताड़ना एक साजिश कर किया गया है और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के जुल्म का शिकार होकर हम तमाम परिवार के लोगों का बड़े स्तर पर चरित्रहनन हुआ है, हमारा परिवार बहुत दुखी है, चूंकि उन्होंने पुलिसिया गरिमा को नजर अंदाज करते हुए कानून और व्यवस्था को कुचलते हुए पुलिस पर से हमारा भरोसा उठाया है | एक वरीय पुलिस पधाधिकारी का इस स्तर पर आना पुलिस की भूमिका पर एक गंभीर सवाल उठाता है |  मैं देश में कई मुद्दों पर सामाजिक रूप से मुखर रहा हूँ, वंचितों , शोषितों, पिछड़ों, गरीब मजदूर और मजबूर की लड़ाई लड़ता रहा हूँ एवं 2019 में देशभर में होने वाले CAA / NRC के खिलाफ आंदोलन में आसनसोल शहर में 75 दिनों से एक अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहा था जिससे हमारी लोकप्रियता समाज के बीच बढ़ गई थी | समाज के हर वर्ग के लोग का साथ मिलने लगा था | पश्चिम बंगाल के सत्ता रूढ दल के नेताओ को यह प्रतिरोध उनकी वोट राजनीति के खिलाफ लग रहा था | उन्होंने कई तरीके से हमें बदनाम करने की साजिश रची लेकिन जब नाकाम हुए तो हमारे गृह जिला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ एनामूल हक मेगनू को साजिश का हिस्सा बनाकर इनकी पुलिसिया गरिमा का सौदा कर लिया |


उन्होंने कहा की जमुई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ एनामूल हक मेगनू द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 13 मार्च 2020 को बिना किसी साक्ष्य के 12 साल पुराना एक ठगी का फर्जी मामला बनाकर संगीन धाराओ में जमुई नगर थाना में एक फर्जी मामला उनके आदेश पर दर्ज करवाया जाता है | चार दिनों बाद 18 मार्च 2020 को बिना जांच पड़ताल, बिना कोर्ट सम्मन, बिना कोर्ट नोटिस के मुझे पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर में धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया जाता है, यह धरना काजी नजरुल बाग के नाम पर CAA / NRC के खिलाफ आसनसोल शहर में हो रहा था जिसका नेतृत्व मैँ ही कर रहा था | इसी के साथ दो महीना पहले मेराज नाम के एक कुख्यात अपराधी की हत्या में संलिपता का आरोप भी लगा दिया |


6 जून 2020 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, जमुई ने मेरी जमानत याचिका को मंजूर करते हुए बेल ऑर्डर पर लिखा की अभिलेख का अवलोकन किया, अभिलेख के अवलोकन से प्रतीत होता है की आवेदक के विरुद्ध प्राथमिकी भा0 द0 वि0 की धारा 406 एवं 420 के अंतर्गत संस्थित किया गया है तथा प्राथमिकी के अवलोकन से स्पष्ट है की अभियुक्त/आवेदक मोहम्मद मुस्तकीम के विरुद्ध केस डायरी के अवलोकन से पैसे के टेंडर लेने का कोई स्पष्ट रूप रेखा नजर नहीं आता है तथा ऐसा कोई कागजी साक्ष्य नहीं है जिस से पता चल सके की पैसे का लेन देन हुआ है तथा आवेदक दिनांक 20/03/2020 से काराधीन है | 

07/09/2020 को जमुई नगर थाना की एक कुख्यात अपराधी के हत्या मामले में मेरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एडीजे I ने बेल ऑर्डर पर लिखा है की “Considering the fact that apart from the information of the spy and the confessional statement of the co accused. There is nothing against the petitioner, the petitioner namely Md. Mustkim @Mustkim Siddiki, is directed to be released on bail.”

मेरी गिरफ़्तारी कानूनी रूप से अवैध तरीके से की गई थी, बिना वर्दी, बिना बिल्ला,  बिना कोर्ट नोटिस, अरेस्ट वारेंट दिखाए, बिना अरेस्ट मेमो बनाए, दर्ज मामला के बारे बिना कोई जानकारी दिए, बिना जांच पड़ताल, बिना पूछताछ किए, पुलिसिया पद का दुरुपयोग करते हुए एवं पुलिस बल प्रयोग करके जबरदस्ती धरना स्थल के करीब से उठा लेती है, मेरी गिरफ़्तारी के बाद मेरे साथ बहुत ही अमानवीय बर्ताव किया जाता है|

मुझे 34 से 36 घंटे के अवैध हिरासत में रखने के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जमुई के पास उपस्थित कराया गया तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ एनामूल हक मेगनू के द्वारा शारीरिक प्रताड़ना, बेरहमी से मार पीट, शरीर से भारी मात्रा में खून निकल जाने के कारण कमजोरी से ठीक ठाक से नहीं चल पा रहा था तो मुझे बताया गया की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जमुई को अपना चोट लगा हुआ जगह नहीं दिखाना है वरना पुलिस रिमांड पर लेकर पुलिस इन्काउटर कर दिया जाएगा | मैंने  अपने ऊपर हुए अमानवीय दमन की बात मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जमुई को बताया जिस पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी महोदय लिखते हैं :

 

[Accused told  that he was brutally assaulted and shown the marks of injuries, the jail superintendent to provide him medical treatment.]

जेल से बाहर आने के बाद मैंने इंसाफ के लिए माननीय न्यायधीश, पटना उच्च न्यायालय से सी बी आई जांच की मांग एवं अपने ऊपर हुए दमन, अत्याचार, प्रताड़ना, वरीय पुलिस पदाधिकारी के द्वारा फर्जी मुकदमा के बाद चरित्र हनन करने के कारण उच्च न्यायालय से गुहार लगाया हूँ, जिसका सुनवाई कोरोना के कारण कुछ विलंब से हो रहा है|


अंत में मुस्तकीम सिद्दीकी पुलिस महानिदेशक को संबोधित करते हुए कहते हैं :

वरीय पदाधिकारी पुलिस की गरिमा को बेचकर मेरे ऊपर फर्जी मुकदमा एवं अमानवीय प्रताड़ना किया है | उनके इस कुकर्म, प्रताड़ना  एवं फर्जी मुकदमा करने से वरीय पुलिस विभाग की भूमिका पर सवाल उठता है चूंकि पुलिस को अपनो पदों का दुरुपयोग कर किसी भी व्यक्ति या संगठन की पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक छवि को नीलाम करने का अधिकार नहीं है| आपका वरीय पुलिस पदाधिकारी डॉ इनामूल हक मेंगनू ने साजिश कर मेरे विरुद्ध हमारे जिला जमुई एवं कार्य छेत्र आसनसोल में एक बहुत ही खराब नरेटिव (अफसाना) गढ़ कर मुझे बहुत ही बदनाम करने में सफलता पाई है, मैं जानना चाहता हूँ की मेरा कौन सा अपराध था जो मुझे इस तरह बदनाम आपका वरीय पदाधिकारी कराया है ? मैं बहुत दुखी हूँ, मेरे पूरे परिवार को इन्होंने तोड़ कर रख दिया है, आखिर ऐसा क्यू ? कौन से अपराध का दोषी मुझे पाया गया या किस अपराध में संलिप्त पाया गया था ? आपका वरीय पुलिस पदाधिकारी ने मेरे खिलाफ बड़ी साजिश की है जिसका उच्चस्तरीय जांच की मांग कर इंसाफ चाहता हूँ |

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