नई दिल्ली। एल आर टी एजुकेशन,के ब्रांड एंबेसडर उज्ज्वल प्रताप सिंह कहते है की शिक्षा और सोच में बदलाव भारत में जब कोई युवा प्रतियोगी परीक्षा पास करता है , तब उसकी सफलता की कहानी बताते समय यह बताया जाता है।
कि इनके पिताजी रिक्शा चलाते थे या होटल में प्लेटें साफ करते थे । देखिए , आज उनका बेटा आईएएस बन गया है ।
इस पूरे विवरण में जो विचार है , वह यह है कि रिक्शा चलाना या होटल में प्लेटें साफ करना नीचा व छोटा काम है और आईएएस बहुत ऊंचा होता है ।
असल में , अपने देश में काम से व्यक्ति की इज्जत और बेइज्जती निर्धारित होती है ।
इसलिए भारत में शरीर से श्रम करना हमेशा नीच कर्म तथा प्रशासन - शासन के काम करना उच्च कार्य माना गया ।
को जीवन भर इस देश में कई बच्चे इसलिए भी आत्महत्या करते हैं , क्योंकि हमने उन्हें एहसास कराया है कि यदि तुम डॉक्टर , इंजीनियर , आईएएस , आईपीएस नहीं बने , तो तुम्हारी जिंदगी बेकार है ।
अब समाज में न तुम्हारी कोई इज्जत होगी , न तुम्हें पैसा मिलेगा । व्यक्ति की इज्जत उसके इंसान होने के कारण करने के बजाय हम उसके पद या उसकी दौलत की करते हैं ।
समाज के लिए हर काम जरूरी है । उसे कार मैकेनिक , प्लंबर , स्वीपर , कॉबलर , टैक्सी ड्राइवर , इलेक्ट्रिशियन , किसान और मजदूर की भी आईएएस जितनी ही जरूरत है ।
पर मेहनतकशों को जीवन भर अपमानित करते हैं और उसकी जिंदगी को सजा बना देते हैं ।
इसी लिए सोच समझकर कर किसी को सलाह देना चाहिए, किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
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