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उफनाई घाघरा नदी तबाही मचाने को तैयार

नवानगर, बलिया : बढ़ते जलस्तर व उफनाई घाघरा नदी ने अब क्षेत्र में तबाही मचाना शुरू कर दिया है।
जलस्तर में हो रही तेज वृद्धि के साथ ही प्राय: सभी दीयारों की हालत खराब होती जा रही है। 
बाढ़ का पानी डुंहा बिहार,कठौड़ा,सीसोटार ,लीलकर गोसाईपुर, बसारिखपुर आदि दियारों में  तेजी से फैलता जा रहा है, 

इन दियारे क्षेत्रों में सब्जी ,मक्का, बाजरा, धान, गन्ना आदि की फसलें डूबती व कटान की भेंट चढ़ती जा रही हैं, जिससे उनके नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। पानी में तेज वृद्धि के मद्देनजर दीयारों के किसान अपना आशियाना उजाड़ कर सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन करने लगे हैं ।
दियारा लीलकर, मंगही व सीसोटार में पानी में डूबी नदी किनारे की जमीन पल पल बैठ अस्तित्व खोती जा रही है इसका कारण कई दिनों से पानी में डूबने से जमीन का कमजोर हो जाना है । 



उधर वनखंडी नाथ मठ डूहां तक पानी नहीं पहुंचने देने की बाढ़ विभाग की सारी कवायद विफल हो गयी है। पि¨चग के माध्यम से सुरक्षा हेतु की गई प्रतिरोधी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। 

बंधी में लगाये गये जियो बैग के बैठ जाने से बाढ़ का पानी मठ की दीवार से सटी सीढ़ियों पर करीब तीन से चार फीट तक ऊपर तक सट कर बहने लगा है। 



इस बीच कठौड़ा निवासी किसान अखिलेश चौधरी नें बताया कि- नदी के बढ़ते जलस्तर से हो रहे कटान की वजह से उनका और उनके पट्टीदारों का लगभग ढाई सौ बीघा से ऊपर  उपजाऊ भूमि जिसमें की गन्ना लगाया गया था वह कटान की भेंट चढ़ गया। जिसमें सभी को लाखों का नुकसान हुआ है। जिसका जायजा लेने कोई भी सरकारी अमला या कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक यहां नहीं आया है। 

किसानों ने बताया कि लगातार जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है तथा कटान भी हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो उपजाऊ भूमि के अलावा रिहायशी जमीन भी कटान की भेंट चढ़ जाएगा।


वहीं, डुहां बिहरा गांव निवासी विनय वर्मा नें बताया कि 2 महीने पहले विधायक निधि से कटान रोकने के लिए यहां पर एक कार्य कराया गया था जिसमें बोरी डाला गया था तथा पिलर लगाए गए थे।जिससे कि बाढ़ की सीमा को रोका जा सके। 

परंतु जल स्तर में बढ़ोतरी  की  वजह से वह पानी में डूब चुका है। जिसका बाढ़ पर कोई असर नहीं हो रहा। इसका जायजा लेने के लिए अभी तक  कोई भी अधिकारी या जन प्रतिनिधि
इसका निरीक्षण करने के लिए नहीं आया है। 

उन्होंने बताया कि जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो रहने योग्य भूमि भी नहीं बच पाएगी। 

इनसेट- 

कृपा धाम से महज 30 से 40 फुट की दूरी पर बह रही है नदी, ग्रामीणों ने बताया कि नदी में बने ठोकर की वजह से अभी तक कृपा धाम की भूमि बची हुई है।

रिपोर्ट- सार्थक राय

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