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जनेश्वर मिश्रा सेतु के बहने की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी एवं लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता



By-जे-आलम

बलिया।  दुबहर क्षेत्र के शिवरामपुर गंगा घाट पर बने जनेश्वर मिश्रा सेतु का एप्रोच गुरुवार के दिन बाढ़ के चलते धराशाई हो गया।  जिसमें पुल से सटे उत्तर दिशा में बन रहे एप्रोच मार्ग का 30 मीटर लंबा तथा 30 मीटर गहरा एप्रोच मार्ग की मिट्टी गंगा में विलीन हो गई। 

जानकारी मिलते ही  जिला प्रशासन के अफसरों में हड़कंप मच गई  सूचना मिलने के तत्काल बाद जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारोत मौके पर पहुंच गए  उन्होंने एप्रोच  बहने के बारे में  जानकारी ली तथा आवश्यक दिशा निर्देश दिए। जनेश्वर मिश्रा सेतु के बहने की जानकारी  मिलने के बाद मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत एवं लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता आरके बाजपेई ने मौके का मुआयना कर आवागमन को अवरुद्ध कर दिया। इस मौके पर पुल की हमेशा निगरानी करने की सलाह संबंधित विभाग को दी । ज्ञात हो कि शिवरामपुर गंगा घाट पर करीब 400 करोड़ की लागत से  2015 से निर्माणाधीन जनेश्वर मिश्रा सेतु 2019 में बनकर तैयार तो हो गया था । लेकिन उसके एप्रोच मार्ग का निर्माण पुल के उत्तर लगभग साढ़े तीन किमी एवं दक्षिण में लगभग दो किमी  दोनों दिशाओं में हो रहा था । इसी बीच गंगा नदी में आई बाढ़ के कारण एप्रोच मार्ग पर पानी का दबाव ज्यादा बढ़ गया जिसके चलते पूल के उत्तर दिशा में सटे एप्रोच मार्ग गुरुवार के दिन अचानक गंगा नदी में विलीन हो गया। अभी भी कटान जारी है ।  जिससे पूल से संपर्क बिल्कुल ही टूट गया। जबकि इस निर्माणाधीन एप्रोच मार्ग से लोग गंगा इस पार से उस पार आने जाने का काम कर रहे थे । मौके पर पहुंचे पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि एप्रोच मार्ग के धराशाई हो जाने से लगभग पचास लाख का नुकसान की अनुमान लगाया जा रहा है । अधिकारियों ने बताया कि एप्रोच मार्ग का निर्माण कार्य इसी वर्ष पूर्ण करना था। जिसमें अब विलंब की संभावना बढ़ गई है । हालांकि पिछले वर्ष भी गंगा नदी में पानी बढ़ने से पुल मार्ग को काफी क्षति हुई थी। लेकिन उसको समय रहते ठेकेदारों ने काफी हद तक संभाल लिया। 


  बलिया। गंगा के शिवरामपुर तट पर बनने वाले जनेश्वर मिश्र सेतु के लिए पिछली सरकार ने करीब 400 करोड रुपए स्वीकृत किए। जिससे काम पूरा भी हो चला है। लेकिन रोज के अस्थान पर दो  पाया  बनाने के लिए  संशोधित  प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। जिसके  लागत  का स्टीमेट भी  भेज दिया गया था। लेकिन वह लागत स्वीकृत ना होने की दशा में उनको उसी हालत में एप्रोच बनाकर चालू कराने की कवायद विभागीय अधिकारियों ने शुरू करा दी थी। जिसके आधार पर दो पाया का निर्माण होना था। लेकिन बजट के अभाव में उक्त कार्य के कराए बगैर एप्रोच बनाकर पुल शुरू करो के तर्ज पर कार्य शुरू कर दिया गया था। ऐसे में एक दिन बहाना कोई नई बात नहीं है ना कि विभागीय अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है देखना यह है कि वह हुए अप्रोच के लिए यह कितने दिनों में शासन से धन मंगा कर पुल को दोबारा चालू कर देते हैं कहना मुश्किल है

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