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जल्द ही खत्म होता दिख रहा है लाल बालू की किल्लत ,बिहार सरकार ने खोले हाथ




बैरिया (बलिया): लंबे समय से लाल बालू मामले में नियमावली को लेकर बनी ऊहापोह की स्थिति अब खत्म होते दिख रही है। बिहार सरकार ने पुन: अपने पुराने बंदोबस्तियों के हाथों ही बालू सप्लाई की जिम्मेदारी दी है। बिहार के इस व्यवस्था के बाद यूपी सीमा में भी बालू का संकट खत्म हो जाएगा। वजह कि अब बिहार की ओर से वैध तरीके से चालान लेकर भारी संख्या में ट्रकें पहुंचने लगी हैं। बिहार में इसकी आनलाइन बुकिंग की बी व्यवस्था बिहार राज्य खनन निगम लिमिटेड ने की है। जिससे सामान्य रूप से लाल बालू यूपी के लगभग क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध होने लगा है। हालांकि रेट के मामले में यह बालू अभी भी बलिया तक पहुंच कर महंगा ही साबित हो रहा है। 
फिलहाल बिहार में 100 सीएफटी लाल या पीला बालू की कीमत 2400 रुपये निर्धारित की गई है। जो ट्रक से बलिया पहुंचने के बाद प्रति 100 सीएफटी लाल बालू की कीमत 7500 से 8500 रुपये तक हो जा रही है। इस संबंध में ट्रक चालकों से पूछने पर बताया कि बिहार से अंडरलोड बालू लेकर आने पर खर्च ज्यादा हो जाता है। इसलिए बालू की कीमत पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। बताया कि मौके पर यदि चालान बिहार के नाम पर कटता है तो पैसा कम लगता है। वहीं यूपी के नाम पर रायल्टी में काफी वृद्धि हो जाती है। ऐसे में यदि ओवरलोड बालू लेकर यूपी में प्रवेश करने की अनुमति मिल जाय तो 8500 रुपये प्रति 100 सीएफटी मिलने वाला लाल बालू मंजिल तक पहुंच कर पांच हजार से छह हजार तक में उपलब्ध हो सकता है। 

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इसी लिए नाव से लोग कर रहे लाल बालू की खरीदारी
वैध तरीके से ट्रकों से यूपी पहुंच रहे लाल बालू महंगा मिलने के कारण जरूरतमंद लोग सर्वाधिक नाव से ही इसकी खरीदारी करते हैं किंतु अभी के समय में नदी घाटों पर बिहार से लाल बालू लेकर आने वाले नावों की संख्या भी काफी कम हो गई है। वजह कि बिहार ने अब अपने सभी बालू घाटों पर निगरानी की व्यवस्था काफी चुस्त-दुरुस्त कर दी है। नदी में बिहार प्रशासन ने निगरानी के लिए ही कई स्पीड बोट डाले हैं। वहीं भारी संख्या में पुलिस प्रशासन की भी तैनाती की गई है। ऐसे में अभी के समय में सभी जरूरतमंद लोगों को ट्रकों से ही लाल बालू खरीदने की मजबूरी है।

                                                     

क्वालिटी में है दम
नाव के बालू के अपेक्षा ट्रकों से वैध तरीके से यूपी में आ रहे लाल बालू की क्वालिटी में दम है। वजह नाव चालक चोरी छिपे बिहार से खनन कर लाल बालू लेकर यूपी के नदी घाटों तक पहुंचते हैं जबकि ट्रक चालक वैध रूप से यूपी के नाम पर चालान कटा कर लाल बालू लेकर पहुंचते हैं। ऐसे में महंगा होने के बावजूद भी जरूरतमंद लोगों को ट्रकों से आ रहा बालू ही पसंद आ रहा है।

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