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दीप बन जलना सीखा दे ।


दीप बन जलना सीखा दे।
हे! ईश्वर मेरी यही प्रार्थना,
श्रम मैं इतना करू।
ज्ञान के मार्ग पर चलना सीखा दे,
दीप बन जलना सीखा दे।।

हम चांद जैसे मुस्कुराये,
पुष्प जैसे खिल - खिलाएं,
हे ! ईश्वर मेरी यही प्रार्थना,
सूर्य - सा चमकना सीखा दे,
दीप बन जलना सीखा दे।।

दीन - दुखियों का दर्द बांटू मैं,
प्रेम करना मुझे सीखा दे।
जैसे भंवरा फूलों का रस ढूंढता है,
हर इंसान में तुझको ढुंढने का गुर सीखा दे।
दीप बन जलना सीखा दे।।


चाहे राह कितना भी कठिन हो।
चाहे हो जेठ की दुपहरी,
कितना भी हो माघ की सर्दी।
चाहे हो आंधी - तूफानी,
सही मार्ग पर चलना सीखा दे।
दीप बन जलना सीखा दे।।

     ✍️ बशिष्ठ प्रसाद बागी
           9700133965

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